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Friday, 20 June 2014

परीक्षा में सफल कैसे हो ?


प्रोफेसर (डॉ) राम लखन मीना,प्रोफेसर एवं अध्यक्ष,हिंदी विभाग, मानविकी एवं भाषा संकाय केंद्र, राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय राजमार्ग-8,बान्दर सिंदरी, किशनगड़, अजमेरPhone : 01463-238561, Mobile: 094133 00222 


(1) परीक्षा में सफल कैसे हो? : आज का समय कड़ी प्रतिस्पर्धा का समय है। हर क्षेत्र में भारी प्रतिस्पर्धा है। जीवन के प्रारम्भ से लेकर अंत तक मनुष्य को कई परीक्षाओं से होकर गुजरना पड़ता है। जीवन का हर पल हमारे लिए एक चुनौती, नवीनता, कौतुहल, रोमांच तथा शिक्षण लेकर आता है। जीवन के हर अच्छे बुरे क्षण से हमें कुछ न कुछ शिक्षण मिलता है इसलिए हमें अपने अंदर ज्ञान की चिंगारी को सदैव सुलगाये रखना चाहिए। ताकि अज्ञान का अन्धेरा छटकर जीवन ज्ञान के प्रकाश से प्रकाशित हो जाये। हमें अपने अंदर ऐसी क्षमतायें विकसित करनी चाहिए कि हम जीवन के प्रत्येक पल से कुछ न कुछ सीख सके। मनुष्य के जीवन के स्वर्णिम काल के रूप में हम शिक्षा ग्रहण करने की अवधि को मान सकते हैं। हमारा विश्वास है कि स्कूल चारदीवारी का एक ऐसा भवन है जिसके क्लास रूम में कल के उज्जवल भविष्य का चरित्र गढ़ा जाता है। अत: स्कूल में जीवन की सफलता के लिए स्पष्ट मार्गदर्शन एक बालक को दिये जाने चाहिए। एक छात्र ने अपने विषयों को कितनी गहराई से आत्मसात किया है इसको नापने का स्केल परीक्षाओं में उसके द्वारा अर्जित अंक होते हैं। परीक्षायें हमें आत्मज्ञान कराती हैं कि हममें विषम परिस्थितियों से निबटने और समस्याओं को सुलझाने की कितनी क्षमता विद्यमान है।
(2) परीक्षा की तैयारी वैज्ञानिक ढंग से करें : टेस्ट, एस्समेन्ट, मूल्यांकन, अद्र्धवार्षिक तथा वार्षिक परीक्षायें, बोर्ड परीक्षायें, प्रवेश परीक्षायें, तुलनात्मक परीक्षाएं प्रत्येक कोण से आधुनिक छात्र जीवन का एक हिस्सा है। यह एक सच्चाई है कि जीवन किसी को भी परीक्षा से बचने की छूट नहीं प्रदान करता। फिर क्यों नहीं हम इसे जीवन की एक सच्चाई के रूप में स्वीकार करके इसके साथ अपनी पूरे प्रयत्न के साथ जीने का साहस करते। हमारी सफलता का टेस्ट परीक्षा कक्ष में होता है। यदि हम सफलता के प्रति गम्भीर है तो क्यों नहीं हम अपनी परीक्षा की तैयारी वैज्ञानिक ढंग से करते हैं?
(3) जीवन की समृद्धि एवं विकास के लिये परीक्षा एक आवश्यक उपकरण : प्राय: यह देखा जाता है कि छात्रों को हताशा घेर लेती है। परीक्षा की वास्तविकता स्वीकार न करना ही इसका मुख्य कारण है। जिसे परीक्षा का भूत या बुखार का नाम दिया गया है। जैसे कि हम जीवन में वर्षा, ठण्ड, गर्मी के थपड़े, बाढ़, सूर्य के ताप को सहन करते हैं। इसी तरह परीक्षा में सफल होने के लिए सर्वप्रथम हमें इसे स्वीकार करना चाहिए। जीवन की समृद्धि एवं विकास के लिए परीक्षा एक आवश्यक उपकरण है। अत: जैसे ही हमने जीवन में परीक्षा की अनिवार्यता को स्वीकार किया वैसे ही हमारी सफलता दोनों क्षेत्रों अर्थात स्कूल तथा जीवन में सुनिश्चित हो जाती है। एक्जामिनेशन फीवर स्वयं द्वारा निर्मित एक कोरी कल्पना मात्र है। जैसे ही हम परीक्षा के विषय में गम्भीर होते हैं वैसे ही हमारी उदासीनता के बादल छट जाते हैं। असफलता का डर मन से हटाते ही हमारे अंदर की असीम शक्ति प्रकट हो जाती है।
(4) आत्म–विश्वास अर्थात ‘स्वयं की क्षमताओं पर विश्वास’ जरूरी : यदि हमारा अपने पर विश्वास नहीं है तो समझे कोई भी हम पर विश्वास नहीं करेगा। ईश्वर ने हमें सुपर कम्प्यूटर से भी अधिक आधुनिक तथा तेज गति वाला मस्तिष्क दिया है। हमें अपने जीवन की असफलताओं एवं दु:खों के लिए ईश्वर या किसी अन्य पर दोषारोपण नहीं करना चाहिए। जैसे कि सुपर कम्प्यूटर का उपयोग एक तीव्र गति से एक अच्छा परिणाम देने के लिए किया जाता है। उसी प्रकार के आश्चर्यचकित कर देने वाले परिणाम हम अपने मस्तिष्क का सही उपयोग करके दे सकते हैं। जीवन में कुछ भी असम्भव नहीं है। यदि आपने अपने मस्तिष्क को सुस्त और गतिहीन बनाने का निश्चय कर लिया है तब आपके इस निर्णय के परिणामों को दुनिया की कोई ताकत नहीं बदल सकती। दूसरी तरफ अगर आपने अपनी परीक्षा से पहले अपने सभी विषयों की तैयारी करने के लिए अपने मस्तिष्क को तैयार कर लिया तो आप अवश्य सफल हाेंगे। प्रतिदिन कम से कम 100 बार अपने आप से कहो कि ‘मैं अपनी मन और आत्मा की शक्ति लगाकर अपना सर्वोच्च प्रदर्शन करूँगा।’
(5) अपने लक्ष्य का निर्धारण स्वयं करें : परीक्षा के विभिन्न प्रश्न पत्रों की तैयारी उसी तरह से करना चाहिए जिस प्रकार आप किसी यात्रा या छुट्टी पर जाने से पहले करते हो। किसी यात्रा पर जाने के लिए गन्तव्य स्थान का प्रारम्भिक ज्ञान उसकी कुंजी है। हमें यह ज्ञान होना चाहिए कि हम कहाँ जा रहे हैं? एक बार यदि हमें अपना लक्ष्य ज्ञात हो गया तो हम स्वयं उस लक्ष्य की तरफ मुड़ जायेंगे। यदि हमारा लक्ष्य परीक्षा में 100 प्रतिशत अंक लाना है तो पाठ्यक्रम में दिये गये निर्धारित विषयों के ज्ञान को पूरी तरह से समझकर आत्मसात करना होगा।
(6) लक्ष्य की प्राप्ति हेतु अपने मस्तिष्क की असीम क्षमता का सदुपयोग करें : प्रत्येक मनुष्य की स्मरण शक्ति असीमित है। मनुष्य में सारे ब्रह्याण्ड का ज्ञान अपने मस्तिष्क में रखने की क्षमता होती है। छात्रों को अपने पढ़े पाठों का रिवीजन पूरी एकाग्रता तथा मनोयोगपूर्वक करके अपनी स्मरण शक्ति को बढ़ाना चाहिए। छात्रों को अपने निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पाठ्यक्रम को 3 से 6 बार पढ़ना कुछ भारी हो सकता है। लेकिन जो लक्ष्य आपने निर्धारित किया है उसके नजदीक यह प्रयास आपको पहुँचा देगा। यदि आप प्रतिदिन अपने विषयों को नहीं दोहराओगे तो आपने जो महीनों पढ़ा है उसे तथा 100 प्रतिशत अंक प्राप्त करने के अपने लक्ष्य को भूल जाओगे। यह एक सत्य है कि स्मरण शक्ति एक अच्छा सेवक है इसे अपना स्वामी कभी मत बनने दो। आइस्टीन जैसे महान वैज्ञानिक तथा एक साधारण व्यक्ति के मस्तिष्क की संरचना एक समान होती है। केवल फर्क यह है कि हम अपने मस्तिष्क की असीम क्षमताओं की कितनी मात्रा का निरन्तर प्रयास द्वारा सदुपयोग कर पाते हैं।
(7) मात्र शारीरिक एवं मानसिक सफलता ही अपने आप में पूर्ण नहीं है : प्रबंधन आज के युग की सर्वोपरि आवश्यकता बन गया है। प्रबंधन का पहला लक्ष्य होना चाहिए अपनी योग्यता का, समय का, साधन–संसाधनों का समुचित विकास और अपने जीवन के लिए सार्थक सुनियोजन करना। मात्र शारीरिक एवं मानसिक सफलता ही अपने आपमें पूर्ण नहीं है। यह जीवन का एकांगी अर्थात अधूरा विकास है। भौतिक, सामाजिक तथा आध्यात्मिक तीनों प्रकार की शिक्षा द्वारा ही टोटल क्वालिटी पर्सन बनाया जा सकता है।
(8) सम्पूर्ण पाठ्यक्रम का अध्ययन–मनन जरूरी है : सिफ‍र् महत्वपूर्ण विषयों या प्रश्नों की तैयारी करने की प्रवृत्ति आजकल छात्र वर्ग में देखने को मिल रही है। अगर आपका लक्ष्य 100 प्रतिशत अंक अर्जित करना है तो परीक्षा में आने वाले सम्भावित प्रश्नों के उत्तरों की तैयारी तक ही अपना अध्ययन सीमित न रखे। सम्पूर्ण पाठ्यक्रम से सभी प्रश्नों के उत्तरों की तैयारी करना एक अच्छी आदत है। जो छात्र पाठ्यक्रम के कुछ भागों को छोड़ देते हैं वे परीक्षा में असफलता का मुँह देख सकते हैं।
(9) ‘आत्मसात’ करने की आदत सफलता की कुँजी है : आपने जो कुछ अपने निर्धारित विषयों में पढ़ा है उसमें से ज्यादा से ज्यादा प्रश्नों के उत्तरों को पूछना एक परीक्षक की प्रवृत्ति होती है। इसलिए पाठ्यक्रम के प्रत्येक पहलू के लिए अपनी योग्यता का संतुलित विकास करना जरूरी है। विषयों को समझने का अर्थ वह शक्ति और क्षमता है जो आपने अपने भावी जीवन के लिए ‘आत्मसात’ किया है। आपका विषयों को समझना तब तक सार्थक नहीं जब तक आपने उन विचारों से अपने जीवन को ओतप्रोत नहीं किया है।
(10) सफलता की एकमात्र कुंजी निरन्तर अभ्यास, अभ्यास और अभ्यास ही है : विशेषकर गणित तथा विज्ञान विषयों में यदि आप अपना वैज्ञानिक एवं तार्किक दृष्टिकोण विकसित नहीं कर पाये तो आप सफलता को गवां सकते हैं। सफलता की एकमात्र कुंजी निरन्तर अभ्यास, अभ्यास और अभ्यास ही है।
(11) प्रश्नोंत्तर के स्वरूप के बारे में जानना : परीक्षा में शत प्रतिशत सफलता वही छात्र प्राप्त कर सकता है जो प्रश्नों तथा उनके उत्तरों के स्वरूप एवं आकार–प्रकार को जानता है। प्रश्नों के कुछ स्वरूप एवं आकार–प्रकार इस प्रकार के हो सकते हैं :–
  • ए–सरल प्रश्नोंत्तर
  • बी–लघु प्रश्नोंत्तर
  • सी–अति लघु प्रश्नोंत्तर
  • डी–एक या दो शब्दों के प्रश्नोंत्तर
(12) उच्च कोटि की सफलता के लिए समय प्रबन्धन जरूरी : परीक्षा में प्रश्न पत्र हाथ में आते ही सबसे पहले छात्र को सरल प्रश्नों को छांट लेना चाहिए। इन सरल प्रश्नों को हल करने में पूरी एकाग्रता के साथ अपनी ऊर्जा को लगाना चाहिए। छात्र को प्रश्न पत्र के कठिन प्रश्नों के लिए भी कुछ समय बचाकर रखने का ध्यान रखना चाहिए। चरम एकाग्रता की स्थिति में कठिन प्रश्नों के उत्तरों का आंशिक अनुमान लग जाने की सम्भावना रहती है। प्राय: देखा जाता है कि अधिकांश छात्र अपना सारा समय उन प्रश्नों में लगा देते हैं जिनके उत्तर उन्हें अच्छी तरह से आते हैं। तथापि बाद में वे शेष प्रश्नों के लिए समय नहीं दे पाते। समय के अभाव में वे जल्दबाजी करते प्राय: देखे जाते हैं और अपने अंकों को गॅवा बैठते हैं। परीक्षाओं में इस तरह की गलती करना छात्र वर्ग की सामान्य प्रवृत्ति बन गयी है।
(13) सुन्दर लिखावट परीक्षा में सफलता के लिए एक अनिवार्य शर्त : आपकी उत्तर पुस्तिका को चैक करने वाले परीक्षक पर सबसे पहला अच्छा या बुरा प्रभाव आपकी लिखावट का पड़ता है। परीक्षक के ऊपर सुन्दर तथा स्पष्ट लिखावट का बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है। परीक्षक के पास अस्पष्ट लिखावट को पढ़ने का समय नही होता है। अत: परीक्षा में उच्च कोटि की सफलता के लिए अच्छी लिखावट एक अनिवार्य शर्त है।
(14) सही स्पेलिंग तथा विराम चिन्हों का प्रयोग : सही स्पेलिंग तथा विराम चिन्हों का सही उपयोग का ज्ञान होना हमारे लेखन को प्रभावशाली एवं स्पष्ट अभिव्यक्ति प्रदान करता है। भाषा का सही प्रस्तुतीकरण छात्रों को अच्छे अंक दिलाता है। विशेषकर भाषा प्रश्न पत्रों में सही स्पेलिंग अति आवश्यक है। इसी प्रकार विराम चिन्हों का सही उपयोग भी अच्छे अंक अर्जित करने के लिए जरूरी है।
(15) स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है : प्रत्येक व्यक्ति को जीवन में चुस्त, तरोताजा, निरोग एवं फुर्तीला बने रहने के लिए रोजाना कम से कम आधा घण्टा शारीरिक व्यायाम, योग आदि अवश्य करना चाहिए। ऐसा स्वभाव विकसित करने से हमारे शरीर एवं मस्तिष्क दोनों स्वस्थ रहते हैं। किसी ने बिलकुल सही कहा है कि एक स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों एवं डाक्टरों के अनुसार प्रतिदिन लगभग 7 घण्टे बिना किसी बाधा के चिंतारहित गहरी नींद लेना सम्पूर्ण नींद की श्रेणी में आता है। एक ताजे तथा प्रसन्नचित्त मस्तिष्क से लिये गये निर्णय, कार्य एवं व्यवहार अच्छे एवं सुखद परिणाम देते हैं। थके तथा चिंता से भरे मस्तिष्क से किया गया कार्य, निर्णय एवं व्यवहार सफलता को हमसे दूर ले जाता है। परीक्षाओं के दिनों में संतुलित एवं हल्का भोजन लेना लाभदायक होता है। इन दिनों अधिक से अधिक ताजे तथा सूखे फलों, हरी सब्जियों तथा तरल पदार्थो को भोजन में शामिल करें।
(16) प्रश्न पत्र के निर्देशों को भली–भांति समझ लें : छात्रों को प्रश्न पत्र हल करने के पहले उसमें दिये गये निर्देशों को भली भाँति पढ़ लेना चाहिए। ऐसी वृत्ति हमें गलतियों की संभावनाओं को कम करके परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने की सम्भावना को बढ़ा देती है। इसलिए हमें प्रश्न पत्र के हल करने के निर्देशों को एक बार ही नहीं वरन् जब तक भली प्रकार निर्देश समझ न आये तब तक बार–बार पढ़ना चाहिए।
(17) उत्तर पुस्तिका जमा करने के पूर्व चेक करना : छात्रों को उत्तर पुस्तिका जमा करने के पूर्व 10 या 15 मिनट अपने उत्तरों को भली–भांति पढ़ने के लिए बचाकर रखना चाहिए। अगर आपने प्रश्न पत्र के निर्देशों का ठीक प्रकार से पालन किया है तथा सभी खण्डों के प्रत्येक प्रश्नों का उत्तर दिये हैं तो यह अच्छे अंक लाने में आपकी मदद करेगा।
(18) प्रवेश पत्र सुरक्षित रखना : बोर्ड परीक्षाओं के छात्रों को रोजाना घर से परीक्षा केन्द्र जाने के पूर्व अपने प्रवेश पत्र को सावधानीपूर्वक रखने की बात को जांच लेना चाहिए। बोर्ड तथा प्रतियोगी परीक्षाआें आदि के लिए प्रवेश पत्र जरूरी कागजात हैं। हमें यह बात भली प्रकार स्मरण रखनी चाहिए कि प्रवेश पत्र के खो जाने से परीक्षा कक्ष में प्रवेश करने से हम वंचित हो सकते हैं।
(19) परीक्षा के लिए उचित सामान ले जाना : परीक्षा के समय अच्छे पेन, पेन्सिल, स्केल, रबर, कलाई घड़ी आदि का अत्यन्त महत्व है। परीक्षा में उपयोग होने वाली सभी जरूरी सामग्रियाँ अच्छी क्वालिटी की हमारे पास अतिरिक्त मात्रा में होना जरूरी है। ताकि आवश्यकता पड़ने पर हम उसका तुरन्त उपयोग कर सके। परीक्षा केन्द्र/कक्ष में अनावश्यक कागज, किताब आदि लेकर प्रवेश न करें। किसी प्रकार की अपत्तिजनक वस्तु के आसपास पड़े होने की स्थिति में उसकी सूचना कक्ष निरीक्षक को तुरन्त देनी चाहिए।
(20) हमारे जीवन का ध्येय स्पष्ट हो : छात्र को अपने जीवन के ध्येय एवं लक्ष्य के बारे में स्पष्ट रूप से ज्ञान होना चाहिए। प्रत्येक छात्र को अपने कैरियर का यह लक्ष्य अपनी मौलिक क्षमताओं के अनुरूप निर्धारित करना चाहिए। कैरियर की उच्च कोटि की सफलता पर ही उज्जवल भविष्य की आधारशिला टिकी होती है। छात्र को दूरदृष्टि, धैर्य एवं सूझबूझ का सहारा लेकर अपने पथ पर दृढ़तापूर्वक आगे बढ़ना चाहिए। सफलता हमारे से कुछ ही फासले पर होती है। यदि किसी छात्र को अपने ध्येय एवं लक्ष्य के बारे में असमंज्स्य हो तो उसे अपने शिक्षकों से मार्गदर्शन एवं परामर्श लेना चाहिए।
(21) मैं यह कर सकता हूँ, इसलिए मुझे करना है : छात्र को अपने आत्मविश्वास को जगाने के लिए इस वाक्य को प्रतिदिन अधिक से अधिक से दोहराना चाहिए कि ‘मैं यह कर सकता हूँ, इसलिए मुझे यह करना है’ यह छात्र जीवन में उच्च कोटि की सफलता प्राप्त करने का एक अचूक मंत्र हो सकता है। यह मंत्र जीवन में पूरी तरह तभी सफल होगा जब हम अपने अंदर एकाग्रता, निरन्तर प्रयास, आत्मानुशासन तथा आत्म–नियंत्रण के गुणों को भी विकसित करेंगे। परीक्षाओं के समय यह वाक्य हमारी सुनिश्चित सफलता की सोच को विकसित करता है। एक सुन्दर प्रार्थना है कि हे ईश्वर मेरा मार्गदर्शन कर, मेरी रक्षा कर। मेरे हृदय दीप को प्रज्जवलित कर दें। मुझे एक देदीप्यमान सितारा बना दें। तू शक्तिशाली एवं सर्वज्ञाता है। हम रोज रोज अच्छे और अच्छे बनते जाते हैं। हम रोज रोज उस परम शक्ति की ओर बढ़ते जाते हैं। हमारे प्रत्येक कार्य रोजाना एक सुन्दर प्रार्थना बने।

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