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Saturday 25 April 2020

प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी : हिंदी सूक्ति-सागर #आरएएस #हिंदी_प्राध्यापक #रेलवे_परीक्षा #RPSC


प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी : हिंदी सूक्ति-सागर

द ड्रीमलैंड अकैडमीराजस्थान प्रशासनिक सेवा (आरएएस) भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की कोचिंग्स 

हिंदी सूक्ति-कोश
 
अचानक
प्रयासरत लोगों में से एक व्यक्ति अचानक आगे निकलकर सबसे अधिक सफल हो जाता है।
अनभिज्ञ
एक बैलगाड़ी में बहुत कुछ लादा और उतारा जाता है। बैल पीछे की स्थिति से हमेशा अनभिज्ञ रहता है। एक नाकाम मनुष्य की स्थिति भी इन बैलों जैसी ही रहती है।
अनिद्रा
अनिद्रा से ऐसा चिड़चिड़ापन उपजता है जो अपनों को भी ठीक से नहीं पहचानता है।
अनुपात
उचित अनुपात के मेल से ही दुनिया के सारे काम आगे बढ़ते हैं।
अपशब्द
अपशब्द एक चिनगारी है जो कानों में नहीं मन में जाकर जलती है।
अनुभव अनुभव अंधकार में भी खोजने के लिये आँखें देता है।
अपमान
किसी की भलाई करने के बाद सम्मान चाहने पर अपमान भी मिल सकता है, लेकिन केवल संतुष्टि चाहने पर, इसे कोई नहीं रोक सकता।
अनुभव
जीवन अनुभव देगा आपको लेकिन एक पक्षी की तरह हमेशा अपने पंख खोलकर रखने होंगे।
अनुभव
कभी-कभी हमारी उलझनें भी हमारे लिये ढेर सारा ज्ञान और अनुभव बटोर लाती है।
अनुभव
अनुभव की असंख्य आँखें होती है, इनसे कोई चीज छुप नहीं सकती और न ही बच सकती है।
अनुभव
जीवन में अनुभव देने की क्षमता असीम है, अंतकाल तक आपको अनुभव प्राप्त होते रहते हैं।
अनुभव
सड़क की यात्रा बहुत सारे मानव प्रदेश और निर्जन को पार करते हुए की जाती है, इसलिए टुकड़े-टुकड़े में भी बहुत सारा अनुभव आपको दे जाती है।
अनुभव
परेशानियों के रंग ढेर सारे हैं, फिर भी ये चेहरे पर एक जैसे ही दिखाई देते हैं, लेकिन अनुभवी लोगों के पास इतने अनुभव हैं कि वह हर तरह की मौजूदा परेशानी के रंगों को पढ़ लेते हैं।
अच्छी बात
एक अच्छी बात अपने आप को बहुत सारी भाषाओं में अनुवादित करवा लेती है।
असफल
जो सोचता है कि चाँद को आसमान से ही हटा दूँगा, वह अपने उद्देश्य में प्रयास से पहले ही असफल हो चुका होता है।
अनुशासित
लोगों को आजादी देने से पहले उन्हें अनुशासित करना जरूरी होता है।
अतिथि अतिथि बार-बार नहीं आते, इसलिए अतिथि हैं।
अन्तर
जिसे पके हुए और जले हुए चावल में अन्तर नहीं मालूम, वह क्या कभी सही आँच दे पायेगा?
अफसोस
अफसोस करने के लिए सौ बातें भी कम पड़ जाती हैं, जबकि खुश होने के लिए सिर्फ एक ही काफी है।
असमंजस
हमें वकील, डॉक्टर, किसान, चरवाहा, ग्वाला, मोची, वैज्ञानिक, इंजीनियर, चोर, डाकू, अवारा, कवि, लेखक, सम्पादक, नेता, पुलिस आदि जैसे किसी न किसी एक पदनाम की पूँछ पकड़कर चलते रहना पड़ता है। जिसने ऐसा नहीं किया है वह या तो अभी असमंजस में है या उसे अभी किसी साँचें में ढाला जाना बाकी है।
अभावग्रस्त
एक संपन्न का भोजन मेज से आँख तक की दूरी पर होता है और अभावग्रस्त के लिए सुबह से शाम तक की दूरी पर।
असुरक्षा
आपका संदेह घबराता है, जब उसे असुरक्षा दिखाई देती है।
अच्छे लोग
अच्छे लोग किसी के लिए बुरा सोचते-सोचते भी अच्छा सोचने लगते हैं।
अन्न आप चाहे कितना भी अन्न सुरक्षित कर लें, आप खायेंगे तो थोड़ा-थोड़ा ही।
अवसर
विभिन्न तरह की तैयारियों से लोगों में परिपक्वता आती है, वे उचित अवसरों को पहचान पाते हैं और जीतता वही है जो राह में मिलते बहुत सारे अवसरों में से भी सबसे श्रेष्ठ अवसर को चुनकर अपने अंतिम ध्येय तक पहुँच जाता है।
अच्छाई
गंदे तालाब में एक कमल का खिलना उसे खूबसूरत कर देता है। बुराइयों से भरे मनुष्य में भी उसकी थोड़ी सी अच्छाई उसके सारे अवगुणों को ढक देती है।
आचरण
दूषित आचरण जब आपके स्वजनों में हो तो ये वैसे काँटें है जिन्हें आप काट भी नहीं सकते और न ही चुभने से रोक सकते हैं।
आग
जलती हुई आग को बुझाया जा सकता है लेकिन सृजन की आग को नहीं।
आलस
आलस से भरे लोग अकर्मण्यता को प्राप्त करते हैं और फुर्तीले सक्रियता को।
आत्मनिर्भरता
आत्मनिर्भरता का एक पाँव अपने केन्द्र में मजबूती से जमा हुआ होता है और दूसरा पाँव नये उद्यमों की तलाश में इसके चारों ओर घूमता हुआ अपने केन्द्र को ही और अधिक मजबूती प्रदान करता रहता है।
आलोचना
जब हमारे स्वर आलोचना से दूर रहते हैं उन्हें प्यार किया जाता है और जब आलोचना के पास उनसे दूरी बनायी जाती है।
आलोचना
जब हम अपने आप को ठीक से समझ जाते हैं तो फिर दूसरों की प्रशंसा और आलोचना कोई खास महत्व नहीं रखती।
आलोचना
व्यक्ति के काम में तल्लीनता के समय उसकी आलोचना करना घोर दुखदायी है, यह छाते के आस-पास मँडरा रही मधुमक्खियों को छेड़ने जैसा ही है।
आलोचना
बड़ा भाई तो बड़ा ही होता है। जितना चाहो उस पर भार डालते रहो। वह थोड़ा क्रोधित भी होगा, आलोचना भी करेगा लेकिन उसकी बातों का अंत दया भावना से ही होगा।
आवाज
कर्त्तव्यपरायण और लगनशील व्यक्ति जब काम करता है तो नगाड़े की आवाज को भी सुन नहीं पाता।
आदत
किसी भी चीज के पीछे पड़कर उसे सीखने की आदत महान लोगों में होती है।
आविष्कार
हर आधुनिक आविष्कार गति, सुविधा एवं बौद्धिकता में बहुत अधिक वृद्धि करते जाते हैं लेकिन जो चीजें समझने और पनपने के लिए समय माँगती हैं, वे
धीरे-धीरे मरती चली जाती हैं।
आभामंडल
सभी के पास अलग-अलग आभामंडल होते हैं जो दूसरे की आँखों में अपने लिए थोड़ी-थोड़ी जगह लेते जाते हैं। मृत्यु तक जो भी देखा गया उसकी सीमा अनन्त के आस-पास हो जाती है।
आलस
एक मेहनती भी आलस से अछूता नहीं रह सकता। इसलिए उसे भी कभी-कभी जगाना होता है।
आशीर्वाद
एक बेटे की यात्रा में माता-पिता का आशीर्वाद भी उसके साथ जाता है।
आशीर्वाद आशीर्वाद का स्मरण आपको हमेशा भयमुक्त रखता है।
आदी
जब आप काँटों पर हाथ रखने के आदी हो जाते हैं तो फिर वे भी प्यारे लगने लगते हैं।
आश्वासन
कानों में आश्वासन भरना सस्ता होता है लेकिन मुख में स्वाद डालना महँगा।
आशंका
कुछ अच्छा होने की आशा में लोग दिन गिनते हैं और बुरा होने की आशंका में रातें खो बैठते है।
आचरण
परिपक्वता ही अच्छे व्यवहार एवं आचरण की समझ देती है।
आहट
मुसीबतें अपने आने की आहट दूर से ही दे देती है, जो केवल सजग लोगों को ही सुनाई देती है। आदेश चली हुई गोली किसी का आदेश नहीं सुनती।
आनन्द
घूमने-फिरने का आनन्द लेने के लिये आपके पास अच्छी आँखें और बौद्धिक समझ होनी चाहिये।
आभूषण
औरतों को वैसे आभूषण कहाँ नसीब जो प्रकृति ने पहन रखे हैं।
आग
आग की लपटें अफवाहों की तरह है, जिधर इसे फूकें उधर जलाने को दौड़ती है।
आवश्यक अच्छी तरह से बोलने के बजाए, आवश्यक चीजों को बोलना अधिक जरूरी होता है।
आत्मा
सूखे हुए खेत, बीज की आत्मा के लिए शरीर नहीं बन सकते।
आतुरता
सभी में आतुरता छिपी होती है लेकिन कुछ अलग-अलग हासिल करने की।
आलसी
आलसी व्यक्ति को सवाल-जवाब बहुत अधिक दुखी करते हैं।
अंगुलिया
अंगुलियों पर नचाना बड़ा आसान है लेकिन अंगुलियाँ पकड़कर कुछ सिखाना बेहद मुश्किल।
आँखें
जो आपस में आँखें ही जोड़ न पाया वह प्रेमी कैसा । जिसने हल ही नहीं चलाया वह किसान कैसा। जिसने कभी माला नहीं बनायी वह माली कैसा। जिसने कभी अपने कार्य क्षेत्र की ओर देखा ही नहीं वह सफल इंसान कैसा।
आँखें
जितनी बार आप अच्छी तरह से आँखें खोलते हैं, उतनी बार कुछ न कुछ नया सीख लेते हैं।
आँखें
जिस चीज से हम डरते हैं, उससे आँखें चुराते हैं।
आँखें
जब तक आप अपनी आँखों से नहीं देखेंगे तब तक दूसरों की आँखें आपको भ्रमित करती रहेंगी।
आँख
असल कलाकृति वह है जिससे दर्शकों की आँख ही चिपक जाए।
आँख
कदम-कदम पर दुर्घटना छिपी है, आप आँख खोलकर चलें तो उनसे बच सकते हैं।
आँच
कारीगरों को समय पर पैसे नहीं मिलने पर उनके चूल्हे की आँच धीमी हो जाती है।
औरत
एक औरत को रसोई का अन्तिम कोर खाने की आदत होती है।
इच्छा
अनगिनत सम्भावनाओं से भरी हुई है यह दुनिया। प्रत्येक इच्छा को कोई न कोई सम्भावना सामने खड़ी अवश्य मिलती है।
इच्छा
अधूरी इच्छा से काम करने वाले, काम को उलझा देते हैं।
इच्छापूर्त्ति
आपकी इच्छापूर्त्ति की सम्भावना अनेक स्त्रोतों में छिपी होती है।
इच्छापूर्त्ति
किसी की इच्छापूर्त्ति में बाधा पहुँचाने पर अपने भी पराये हो जाते हैं।
इच्छाएँ हमारे सारे कार्यों के संपादन में सबसे पहले हमारा शरीर फिर हमारी सोच या हमारी इच्छाएँ ही अवरोध डालती हैं। यहाँ से आगे बढ़ने के बाद ही दूसरी कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
इच्छाएँ
कई इच्छाएँ धीरे-धीरे पूरी होती हैं, कई इच्छाएँ धीरे-धीरे मर भी जाती हैं।
इमारत
एक बहुमंजिली इमारत का सारा बोझ उसके आधार को ही ढोना पड़ता है।
इरादे
जब आप में इरादे नदियों की तरह अडिग होते हैं, बड़ी ताकतें भी आपको रोक नहीं पातीं। इस्तेमाल चोरों की एक खासियत है कि वे रात को भी दिन की तरह इस्तेमाल कर लेते हैं।
इज्जत
शरीर को विश्राम, सुन्दरी को प्रशंसक, मन को मीठी बातें, कारीगर को कद्रदान, बीमार को दवा, बच्चों को प्यार, गलियों को खचाखच भरा समूह, संन्यासियों को भक्त, उद्यमियों को नये अवसर, दुष्टों को हथियार, प्रेमियों को साथी, अंधों को लाठी, गायकों को अच्छे सुर, नेताओं को समाचार पत्र, प्रशासन को भरपूर इज्जत- जब प्राप्त नहीं होती तो वे थक जाते हैं।
इलाज
आपकी मुसीबतों का इलाज स्ंवय आपके द्वारा ही होता है।
ईमानदारी
मक्खी और मच्छरों में एक ईमानदारी जरूर है कि वे अपने शोर से आपको सचेत जरूर कर देते हैं।
ईमानदारी
अपनी ईमानदारी स्थापित करने के लिए आपको अनेक परीक्षाओ से गुजरना पड़ता है। इंतजार कभी-कभी मामूली चीजों को पाने के लिये भी लम्बा इंतजार करना होता है।
उपलब्ध्यिाँ
जिस तरह से उपलब्धियों के पीछे हम भाग रहे होते हैं, उपलब्धियाँ भी हमारे पीछे भाग रही होती हैं। मजबूत हाथों को वजनदार उपलब्धियाँ मिलती हैं एवं कमजोर को हल्की।
उपकार
माँ-बाप के उपकार को अगर एक-एक करके भी गिनाते जाएँगे तो गिनती तक भूल जाएँगे हम, और उनके साथ बिताये गए छोटे-छोटे क्षण भी वर्ष ही नजर आएँगे।
उपकार
चूहे को बिल्ली से बचा लेने पर भी उसे आपका उपकार समझ नहीं आता, यही हाल मूर्खों का भी होता है।
उपकार
मूर्ख मामूली से उपकार कर ढोल पीटते हैं और ज्ञानी उपकार करके भूल जाते हैं।
उत्सुकता
एक विफल व्यक्ति को अत्यधिक उत्सुकता होती है यह देखने की, दूसरे कैसे उसके छोड़े हुए काम को सफलतापूर्वक करते हैं।
उत्पत्ति
अच्छे-बुरे कामों की उत्पत्ति हमेशा इस संसार में होती रहती है, आप किसी से भी जुड़ नहीं सकते तो तटस्थ भाव से केवल इन्हें देखते रहना ही उचित होगा।
उपचार हारे हुए लोग प्रोत्साहन खोजते हैं, थके हुये लोग छाया, भयभीत लोग पनाह, रुके हुये लोग परामर्श, राह से भटके हुये लोग व्यक्ति समूह, सताये हुए लोग एक मुखिया, दम तोड़ते हुये लोग साँस। इस तरह से हमारी परेशानियाँ ही हमें प्रेरित करती है, उपचार खोजने के लिये।
उपाय
एक चटाई धरती से हमारा सम्पर्क तोड़ देती है। परदे उस पार के सारे दृश्यों से, कुहासा आँखों के आगे सफेद छाया पैदा कर देता है, रात छुपा देती है सूरज की रोशनी। इस तरह से हर अनचाही चीजों को जीवन में प्रवेश से रोकने के उपाय हैं। इन्हें अपनाने के बाद वे एक तरफ हो जाती हैं और हम दूसरी तरफ।
उपाय
सबसे अच्छा उपाय भी बिना उपयोग के वेबस बना रहता है।
उपदेश
उपदेश सुनने के लिए नहीं बल्कि समझने के लिए होते हैं।
उपदेश
कोरे उपदेश एक निषिद्ध आज्ञा देते हैं, कोई तर्क पूर्ण सलाह नहीं। इसलिए वे ग्रहण करने के बजाय केवल पट्ट्यिों की सजावट तक ही सीमित रह जाते हैं।
उद्यमी
अपने कामगारों की असफलता का हर्जाना उद्यमी को चुकाना पड़ता है।
उद्यमी
उद्यमी जिन कामा में सजगता रखता है, वहाँ उजाला होता है बाकी में अँधेरा।
उद्यमी कबूतरों की तरह एैसा ठौर तलाशते हैं, जहाँ उनका स्थायित्त्व बना रहे।
उद्यमी
एक उद्यमी की सबसे बड़ी भूख होती है, अधिक से अधिक लोगों को अपने व्यापार से जोड़ना।
उद्यमी
एक उद्यमी की सबसे बड़ी खुशी है ईमानदार एवं कार्य में दक्ष लोगों से उसका घिरा होना न कि चापलूसों से?
उद्यमी
स्तरीय दौड़ में जीत-हार का फासला नगण्य क्षणों के फासले से ही होता है। जो हारे वह भी श्रेष्ठ हैं क्योंकि उनकी क्षमता ने केवल बहुत थोड़ी सी चुक की है। उद्यमी ऐसे लोगों को भी चुन लेते हैं।
उद्यमी
उद्यमी अनुपयोगी लोगों को भी आदर से विदा करते हैं तथा उनके उपयोगी हो जाने पर उन्हें काम देने में भी नहीं हिचकते।
मेढ़क उछलता है क्योंकि वह चल नहीं सकता। कुत्ता बोलता नहीं बल्कि भौंकता है; क्योंकि ये ही उसके स्वर हैं, शेर दहाड़ मारता है और चिड़िया अपनी शून्य सी आवाज लिये घूमती रहती है। इस तरह के गुणों की भिन्नता को समझते हुए एक उद्यमी अपने लोगों को अलग-अलग काम सौंपता है।
उद्यमी
उद्यमी जब अपनी व्यवस्था की पूरी ताकत को निचोड़ पाते हैं तो उनके हाथ में सफलता ही सफलता होती है।
उद्यमी
सारे स्वादों के बीच मिठास को ही सबसे पहले याद रखा जाता है; जो कारण उद्यमी को हमेशा लाभ पहुँचाते हैं, उन्हें वह कभी भूलता नहीं है।
उद्यमी
एक बारात में थाली, गिलास, पानी, खाद्य पदार्थ जिस वेग के साथ आगे बढ़ते दिखाई देते हैं। एक उद्यमी की कल्पनाशीलता में लगभग इसी तरह से चीजों को रफ्तार देने का मकसद मौजूद रहता है।
होशियार उद्यमी प्रत्येक चीज को बेहद जरूरी बनाकर लोगों के समक्ष प्रस्तुत करते हैं और अपने उत्पाद एवं बिक्री में बढ़ोतरी करते जाते हैं।
उद्योग
उद्योग समूह राष्ट्र का बहुत बड़ा हित है, ऐसा सभी कर्मचारियों को सोचना चाहिए।
उद्योग
जिन लोगों से काम कराया नहीं जाता बल्कि वे खुद-बखुद करते हैं, उनके आगे बढ़ने की क्षमताओं का किसी भी उद्योग में बहुत बड़ा मूल्यांकन हो सकता है।
उद्योग
एक उद्योग का ढाँचा सक्षम लोगों की हड्डियों से निर्मित होता है।
उद्योग
ऐसे गुणवानों का समूह जिनकी प्रतिभा को अभी तक पहचाना नहीं गया है, एक नये उद्योग के लिए काफी लाभकारी हो सकते हैं तथा कम खर्चीले भी।
उपलब्धियाँ
हमारी उपलब्ध्यिाँ छोटी और बड़ी उपलब्ध्यिों का मिश्रण ही है।
उपलब्धियाँ
बुढ़ापे में पूर्व संचित चीजें और उपलब्ध्यिाँ ही जीवन को आगे बढ़ाने का सहारा बनती हैं।
उपद्रव
उपद्रव हमेशा कमजोर लोगों को ही अधिक परेशान करते हैं।
ऊर्जावान
ऊर्जावान ही अपने काम को तेज गति दे पाते हैं।
उत्तरदायित्व
सारा दोष दूसरों पर डालने की बजाए थोड़ा दोष अपने ऊपर लेने से उत्तरदायित्व की भावना का संरक्षण होता है।
उद्गम
जैसे झरनों का उद्गम कहीं दूर छिपा होता है और केवल हमें उनका प्रवाह दिखलाई देता है, वैसे ही केवल बुद्धिजनित कार्य ही प्रत्यक्ष में दिखलायी देते हैं।
ऊर्जा
मनपसन्द कार्यों में ऊर्जा का क्षय भी थकान नहीं देता।
उत्पत्ति
लाभ और हानि देखना उद्यमियों का काम है, हार-जीत लड़ाकों का, प्रेम और घृणा संतो का, निरोग या बीमार वैद्यों का, अपराध या क्षमा न्यायाधीशों का, विद्या या अविद्या शिक्षकों का। सभी चीजें अपनी उत्पत्ति के बाद अपने-अपने संरक्षकों के पास जाने का मार्ग ढूँढ़ निकाल लेती है।
ऊँचाई
जब हमारे अनुभवों की रस्सी मजबूत होती है, हम किसी भी ऊँचाई में मौजूद समस्याओं का हल इसके सहारे कर डालते हैं।
ऊँचाई
ऊँचाई पर चढ़ते ही आपको अपनी क्षमता का अंदाजा लगना शुरू हो जाता है।
ऊँचाई
जो लोग ऊँचाई पर चढ़ते हुए इस बात का ध्यान रखते हैं कि बस ठीक नीचे से वापस अपने पुराने धरातल में जाने का रास्ता भी है, वे ऊँचाई पर सतर्कता से चढ़ते तो हैं ही साथ ही वहाँ स्थायित्व के लिये सुरक्षित जगह भी बना लेते हैं।
एकाग्रता
उलझे हुए काम गहन एकाग्रता माँगते हैं। यह काम किसी गतिशील पक्षी पर निशाना साधने जैसा ही है।
एकाग्रता काम में एकाग्रता न रखने पर, कामगारों की सारी भूलों का नुकसान उद्यमी को उठाना पड़ता है।

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