कंप्यूटर की कार्यशेली तथा क्षमताओं का विकास : प्रोफ़ेसर राम लखन मीना
कंप्यूटर तकनीकी विकास के द्वारा जो
कंप्यूटर की कार्यशेली तथा क्षमताओं का विकास हुआ इसके फलस्वरूप कंप्यूटर विभिन्न
पीढ़ियों तथा विभिन्न प्रकार की कंप्यूटर की क्षमताओं का निर्माण का आविष्कार हुआ ।
कार्य क्षमता के इस विकास को 1964 में कंप्यूटर जनरेशन कहा जाने लगा।
कंप्यूटर विकास की पहली पीढ़ी (First
Generation History in Hindi) :-
वैक्यूम टूयूब्स (1940 - 1956) : इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल को नियंत्रण और प्रसारित करने हेतु वैक्यूम टूयूब्स का उपयोग किया गया इसमें भरी भरकम कंप्यूटर का निर्माण हुआ किन्तु सबसे पहले उन्ही के द्वारा कंप्यूटर की परिकल्पना साकार हुई । ये टूयूब्स के आकार में बड़े तथा ज्यादा गर्मी उत्पन्न करते थे तथा उनमे टूट-फुट तथा ज्यादा खराबी होने की संभावना रहती थी और इसकी गणना करने की क्षमता भी काफी कम थी और पहली पीढ़ी के कंप्यूटर ज्यादा स्थान घेरते थे।
कंप्यूटर विकास की दूसरी पीढ़ी (Second
Generation History in Hindi):-
ट्रांजिस्टर (1956 - 1963) : में ट्रांजिस्टर का आविष्कार हुआ । इस दौरान के कंप्यूटरों में ट्रांजिस्टरों का एक साथ प्रयोग किया जाने लगा था, जो वाल्व्स की अपेक्षा अधिक सक्षम और सस्ते होते थे । जिन्हें कंप्यूटर निर्माण हेतु वैक्यूम टूयूब्स के स्थान पर उपयोग किया जाने लगा । ट्रांजिस्टर का आकार वैक्यूम टूयूब्स की तुलना में काफी छोटा होता है । जिससे कंप्यूटर छोटे तथा उनकी गणना करने की क्षमता अधिक और तेज । पहली पीढ़ी की तुलना में इनका आकार छोटा और कम गर्मी उत्पन्न करने वाले तथा अधिक कार्यक्षमता व तेज गति के गणना करने में सक्षम थे।
कंप्यूटर विकास की तीसरी पीढ़ी (Third
Generation Computer History in Hindi):-
इंटीग्रेटेड सर्किट (1964 - 1971) : इस अवधि के कंप्यूटरो का एक साथ प्रयोग किया जा सकता था। यह समकालित चिप विकास की तीसरी पीढ़ी का महत्वपूर्ण आधार बनी, कंप्यूटर के आकार को और छोटा करने हेतु तकनिकी प्रयास किये जाते रहे जिसके परिणाम स्वरूप सिलकोन चिप पर इंटीग्रेटेड सर्किट निर्माण होने से कंप्यूटर में इनका उपयोग किया जाने लगा । जिसके फलस्वरूप कंप्यूटर अब तक के सबसे छोटे आकार का उत्पादन करना संभव हो सका । इनकी गति माइक्रो सेकंड से नेनो सेकंड तक की थी जो स्माल स्केल इंटीग्रेटेड सर्किट के द्वारा संभव हो सका।
इंटीग्रेटेड सर्किट (1964 - 1971) : इस अवधि के कंप्यूटरो का एक साथ प्रयोग किया जा सकता था। यह समकालित चिप विकास की तीसरी पीढ़ी का महत्वपूर्ण आधार बनी, कंप्यूटर के आकार को और छोटा करने हेतु तकनिकी प्रयास किये जाते रहे जिसके परिणाम स्वरूप सिलकोन चिप पर इंटीग्रेटेड सर्किट निर्माण होने से कंप्यूटर में इनका उपयोग किया जाने लगा । जिसके फलस्वरूप कंप्यूटर अब तक के सबसे छोटे आकार का उत्पादन करना संभव हो सका । इनकी गति माइक्रो सेकंड से नेनो सेकंड तक की थी जो स्माल स्केल इंटीग्रेटेड सर्किट के द्वारा संभव हो सका।
कंप्यूटर विकास की चोथी पीढ़ी (Fourth
Generation Computer History in Hindi):-
माइक्रोप्रोसेसर (1971 - 1985) : चोथी पीढ़ी के कंप्यूटरों में माइक्रोप्रोसेसर का प्रयोग किया गया । वी।एस।एल।आई। की प्राप्ति से एकल चिप हजारों ट्रांजिस्टर लगाए जा सकते थे।
माइक्रोप्रोसेसर (1971 - 1985) : चोथी पीढ़ी के कंप्यूटरों में माइक्रोप्रोसेसर का प्रयोग किया गया । वी।एस।एल।आई। की प्राप्ति से एकल चिप हजारों ट्रांजिस्टर लगाए जा सकते थे।
कंप्यूटर विकास की पांचवी पीढ़ी (Fifth
Generation Computer History in Hindi)
आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस: विकास की इस पांचवी अवस्था में कंप्यूटरों में कृत्रीम बुद्धि का निवेश किया गया है । इस तरह के कंप्यूटर अभी पूरी तरह से विकशित नहीं हुए है । इस तरह के कंप्यूटरों को हम रोबोट और विविध प्रकार के ध्वनि कार्यकर्मो में देख सकते है । ये मानव से भी ज्यादा सक्षम होगा।
आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस: विकास की इस पांचवी अवस्था में कंप्यूटरों में कृत्रीम बुद्धि का निवेश किया गया है । इस तरह के कंप्यूटर अभी पूरी तरह से विकशित नहीं हुए है । इस तरह के कंप्यूटरों को हम रोबोट और विविध प्रकार के ध्वनि कार्यकर्मो में देख सकते है । ये मानव से भी ज्यादा सक्षम होगा।